Islamic Jihad (Anti-Hindu Riots) in Delhi


 

Source: https://www.youtube.com/watch?v=XV06bhRVv_Y

Comment by Subha Sh

तुम्हें याद हो कि ना याद हो : उस ट्रेन का नाम साबरमती एक्सप्रेस था। 27 फ़रवरी 2002 को जब 7:43 बजे गोधरा से गुजरी तो ये ट्रेन भारत के और कई रेलगाड़ियों की तरह ही लेट थी। चार घंटे लेट। तुम्हें याद हो कि ना याद हो …. ट्रेन की गति को धीमा करने के लिए, उसे रोकने के लिए उस ट्रेन पर गोधरा स्टेशन से निकलते ही पथराव किया गया। ट्रेन रुकी और फिर चली। जब ये अगले सिग्नल पर पहुंची तो करीब दो हज़ार लोगों की भीड़ ने इसपर भयानक पथराव शुरू कर दिया। ट्रेन रोक देनी पड़ी। तुम्हें याद हो कि ना याद हो …. इस कुकृत्य की तैयारी के लिए 140 लीटर ज्वलनशील खरीद कर रज्जाक कुरकुर के गेस्ट हाउस में रखे गए थे। साठ लीटर S-6 के अलग अलग दरवाज़ों से अन्दर डाले गए। तेल में डुबोये बोर पहले ही तैयार थे, तारों से दरवाज़ों को बाँध कर बंद कर दिया गया। तुम्हें याद हो कि ना याद हो …. पूरे रेल के एक डब्बे को, S–6 को आग लगा दी गई थी! तुम्हें याद हो कि ना याद हो …. इस डब्बे में 10 बच्चे जल कर मरे थे। इस रेल के डब्बे में 27 महिलाएं जल कर मरी थी। इस बोग्गी में सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 59 लोग जल कर मरे थे। इसमें 48 घायल हुए थे। तुम्हें याद हो कि ना याद हो …. इसकी जांच जिस नानावटी-शाह कमीशन ने की उसे 22 बार अपना कार्यकाल बढ़ाने दिया गया। लेकिन 2014 में भी जब उसकी रिपोर्ट आई तो भी रिपोर्ट के हिसाब से सारे दोषियों को माकूल सज़ा नहीं दी जा सकी है। तुम्हें याद हो कि ना याद हो… 2011 में एसआईटी कोर्ट ने सज़ा ए मौत सिर्फ 11 हत्यारों… हाजी बिलाल इस्माइल, अब्दुल मजीद रमजानी, रज्जाक कुरकुर, सलीम उर्फ सलमान जर्दा, ज़बीर बेहरा, महबूब लतिका, इरफान पापिल्या, सोकुट लालू, इरफान भोपा, इस्माइल सुजेला, जुबीर बिमयानी को सुनाई थी। 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी कोर्ट ने इस मामले में 63 आरोपियों को बरी किया था। तुम्हें याद हो कि न याद हो… 9 अक्टूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने इन 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। अब इस मामले में किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं है।और सुनो… सारे दोषी तो अदालत के सामने भी नहीं आये होंगे। तुम्हें याद हो कि ना याद हो …. दस बच्चों और सत्ताईस महिलाओं का खून आज भी इन्साफ मांगता है। गुजरात में दंगे भड़काने का जिन्हें अदालत ने दोषी माना था उनमें से कई आज भी खुले ही घुमते होंगे। इसी धरा पर आज के ही दिन हुआ था गोधरा…. याद है! तुम्हें याद रहे न रहे सो बता दूं …. अपने देश की राष्ट्रीय राजधानी में आप एक बार फिर गोधरा देख रहे हैं। आम आदमी पार्टी की अपनी चुनी सरकार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, पार्षदों की छत्रछाया में इस्लामिक जेहादिओं का दिल्ली पर हमला देख रहे हैं। शहरी माओइस्टों, लाल आतंकवादियों को अपने खून का प्यासा देख रहे हैं। कांग्रेस और उसके नेतृत्व की शक्ल में इंसानी लाशों पर महाभोज करते देख रहे हैं। शाहरुख, नासिर गैंग, छेनू गैंगों को उनके पत्थरबाज हिंसक समाज की छत्रछाया में 600 राउंड से अधिक गोलियां दागते, पुलिस… आईबी कर्मी सहित हर आम-ओ-खास को गोधरा बनाते देख रहे हैं। भूत से लेकर वर्तमान तक इतना सब आप-हम क्यों देख रहे हैं?… आइये राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि जैसे कुछ आईने देखें, ये सब बता देंगे कि आप-हम ये सब क्यों देख रहे हैं। समाज सरकारों से नहीं बनते, इसे बनाना हमारा आपका काम है। सरकारों के अपने काम हैं, वो उसे करें न करें ये हम हर पांच सालों में अपने वोट के जरिये देख लिया करते हैं। आईना हमसे सवाल करता है कि हम अपना काम कब करेंगे? हम सरकारों की खूंटी पर अपने तंग कपड़े टांग कर बिस्तरों पर फैलना कब बंद करेंगे। कानून अपना काम तभी बेहतर करता है जब समाज अपना काम बेहतर करे। और अंत में प्रार्थना : तुम्हें याद हो कि न याद हो… तुम्हें याद रहे या ना रहे…!

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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