शैतान तैमूर के कारनामे


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शैतान तैमूर के कारनामे
डॉ विवेक आर्य
सैफ अली खान और करीना कपूर खान ने अपने नवजात बेटे का नाम नवाब तैमूर अली खान पटौदी रखा है। वैसे तो इन दोनों से अपेक्षा रखना बेकार है कि इन्हें यह मालूम होगा कि तैमूर नाम क्यों नहीं रखना चाहिए । मगर इनकी इस कारस्तानी के बहाने इतिहास में तैमूर आक्रांता द्वारा हिंदुओं पर किये गए अत्याचारों को लिखने का अवसर मिला। बहुत कम लोग जानते है कि इतिहासकार तैमूर को एक मज़हबी, जिहादी शैतान के रूप में वर्णन करते है।
 1399 ई. में तैमूर का भारत पर भयानक आक्रमण हुआ। अपनी जीवनी ‘तुजुके तैमुरी’ में वह कुरान की इस आयत से ही प्रारंभ करता है
 ‘ऐ पैगम्बर काफिरों और विश्वास न लाने वालों से युद्ध करो और उन पर सखती बरतो।’ वह आगे भारत पर अपने आक्रमण का कारण बताते हुए लिखता है।
‘हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का मेरा ध्येय काफिर हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक युद्ध करना है (जिससे) इस्लाम की सेना को भी हिन्दुओं की दौलत और मूल्यवान वस्तुएँ मिल जायें। (1)
काश्मीर की सीमा पर कटोर नामी दुर्ग पर आक्रमण हुआ। उसने तमाम पुरुषों को कत्ल और स्त्रियों और बच्चों को कैद करने का आदेश दिया। फिर उन हठी काफिरों के सिरों के मीनार खड़े करने के आदेश दिये। फिर भटनेर के दुर्ग पर घेरा डाला गया। वहाँ के राजपूतों ने कुछ युद्ध के बाद हार मान ली और उन्हें क्षमादान दे दिया गया। किन्तु उनके असवाधान होते ही उन पर आक्रमण कर दिया गया। तैमूर अपनी जीवनी में लिखता है कि ‘थोड़े ही समय में दुर्ग के तमाम लोग तलवार के घाट उतार दिये गये। घंटे भर में १०,००० (दस हजार) लोगों के सिर काटे गये। इस्लाम की तलवार ने काफिरों के रक्त में स्नान किया। उनके सरोसामान, खजाने और अनाज को भी, जो वर्षों से दुर्ग में इकट्‌ठा किया गया था, मेरे सिपाहियों ने लूट लिया। मकानों में आग लगा कर राख कर दिया। इमारतों और दुर्ग को भूमिसात कर दिया गया। (2)
दूसरा नगर सरसुती था जिस पर आक्रमण हुआ। ‘सभी काफिर हिन्दू कत्ल कर दिये गये। उनके स्त्री और बच्चे और संपत्ति हमारी हो गई। तैमूर ने जब जाटों के प्रदेश में प्रवेश किया। उसने अपनी सेना को आदेश दिया कि ‘जो भी मिल जाये, कत्ल कर दिया जाये।’ और फिर सेना के सामने जो भी ग्राम या नगर आया, उसे लूटा गया।पुरुषों को कत्ल कर दिया गया और कुछ लोगों, स्त्रियों और बच्चों को बंदी बना लिया गया।’ (3)
दिल्ली के पास लोनी हिन्दू नगर था। किन्तु कुछ मुसलमान भी बंदियों में थे। तैमूर ने आदेश दिया कि मुसलमानों को छोड़कर शेष सभी हिन्दू बंदी इस्लाम की तलवार के घाट उतार दिये जायें। इस समय तक उसके पास हिन्दू बंदियों की संखया एक लाख हो गयी थी। जब यमुना पार कर दिल्ली पर आक्रमण की तैयारी हो रही थी उसके साथ के अमीरों ने उससे कहा कि इन बंदियों को कैम्प में नहीं छोड़ा जा सकता और इन इस्लाम के शत्रुओं को स्वतंत्र कर देना भी युद्ध के नियमों के विरुद्ध होगा।
तैमूर लिखता है-
‘इसलिये उन लोगों को सिवाय तलवार का भोजन बनाने के कोई मार्ग नहीं था। मैंने कैम्प में घोषणा करवा दी कि तमाम बंदी कत्ल कर दिये जायें और इस आदेश के पालन में जो भी लापरवाही करे उसे भी कत्ल कर दिया जाये और उसकी सम्पत्ति सूचना देने वाले को दे दी जाये। जब इस्लाम के गाजियों (काफिरों का कत्ल करने वालों को आदर सूचक नाम) को यह आदेश मिला तो उन्होंने तलवारें सूत लीं और अपने बंदियों को कत्ल कर दिया। उस दिन एक लाख अपवित्र मूर्ति-पूजककाफिर कत्ल कर दिये गये- (4)
तुगलक बादशाह को हराकर तैमूर ने दिल्ली में प्रवेश किया। उसे पता लगा कि आस-पास के देहातों से भागकर हिन्दुओं ने बड़ी संखया में अपने स्त्री-बच्चों तथा मूल्यवान वस्तुओं के साथ दिल्ली में शरण ली हुई हैं।
उसने अपने सिपाहियों को इन हिन्दुओं को उनकी संपत्ति समेत पकड़ लेने के आदेश दिये।
‘तुजुके तैमुरी’ बताती है कि ‘उनमें से बहुत से हिन्दुओं ने तलवारें निकाल लीं और विरोध किया। जहाँपनाह और सीरी से पुरानी देहली तक विद्रोहाग्नि की लपटें फैल गई। हिन्दुओं ने अपने घरों में लगा दी और अपनी स्त्रियों और बच्चों को उसमें भस्म कर युद्ध करने के लिए निकल पड़े और मारे गये। उस पूरे दिन वृहस्पतिवार को और अगले दिन शुक्रवार की सुबह मेरी तमाम सेना शहर में घुस गई और सिवाय कत्ल करने, लूटने और बंदी बनाने के उसे कुछ और नहीं सूझा। द्गानिवार १७ तारीख भी इसी प्रकार व्यतीत हुई और लूट इतनी हुई कि हर सिपाही के भाग में 80 से 100  बंदी आये जिनमें आदमी और बच्चे सभी थे। फौज में ऐसा कोई व्यक्ति न था जिसको 20 से कम गुलाम मिले हों। लूट का दूसरा सामान भी अतुलित था-लाल, हीरे,मोती, दूसरे जवाहरात, अद्गारफियाँ, सोने, चाँदी के सिक्के, सोने, चाँदी के बर्तन, रेशम और जरीदार कपड़े। स्त्रियों के सोने चाँदी के गहनों की कोई गिनती संभव नहीं थी। सैयदों, उलेमाओं और दूसरे मुसलमानों के घरों को छोड़कर शेष सभी नगर ध्वस्त कर दिया गया।’
सन्दर्भ ग्रन्थ
1. सीताराम गोयल द्वारा ‘स्टोरी ऑफ इस्लामिक इम्पीरियलिज्म इन इंडिया में उद्धत, पृ. ४८
2. उपरोक्त
3. उपरोक्त, पृ. ४९-५०
4.  क एम. आर. बेग :  पृ. १३
5. उपरोक्त
हिन्दू समाज कभी अपने बच्चों का नामकरण रावण, कंस आदि नामों से नहीं करता।  जबकि मुस्लिम समाज जिनके पूर्वज हिन्दू ही थे और जिन्हें बलात मुसलमान बना दिया गया था।  अपने ही पूर्वजों पर अत्याचार करने वाले, महिलाओं से बलात्कार करने वाले, जबरन धर्म परिवर्तन करने वाले तैमूर लंग, बाबर, अकबर, औरंगज़ेब, मुहम्मद गोरी, गजनी आदि के  नामों से अपने बच्चों का नामकरण करते हैं। इसे आप मूर्खता समझेंगे अथवा कुछ ओर……
#TimurwasTyrant
(चित्र 1- तैमूर लंग युद्ध में हिंदुओं के विरूद्ध लड़ते हुए।
चित्र 2- दिल्ली में कत्लेआम करने के पश्चात तैमूर द्वारा बनाया गया नरमुंडों का पहाड़।)
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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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