आदरणीय मोदी जी, हमारे “मन की बात” भी सुनें .


From: Vinod Kumar Gupta < >

आदरणीय मोदी जी हमारे “मन की बात” भी सुनें .

माननीय प्रधानमंत्री जी

सादर वंदे

विषय: “मन की बात” कार्यक्रम में राष्ट्रहित हेतू कुछ आवश्यक सुझाव___

1__जब सन् 1947 में देश के विभाजन का आधार ही हिन्दू-मुस्लिम था और पाकिस्तान इस्लामिक देश घोषित हुआ तो उस समय यह स्वाभाविक मान लिया गया था कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र होगा। लेकिन 73 वर्ष उपरांत भी भारत को अभी तक हिन्दू राष्ट्र घोषित न किया जाना देशवासियों के साथ क्या विश्वासघात नहीं है? अत: इस सन्दर्भ में आपसे विनम्र निवेदन है कि  सभी आवश्यक संवैधानिक संशोधन करके भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिये।

2__भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार देश के समस्त नागरिकों में समानता हो इसके लिये  “समान नागरिक संहिता” का प्रावधान करना होगा। इस सन्दर्भ में  “सर्वोच्च न्यायालय” ने भी अनेक बार शासन को निर्देश दिये हैं। “संयुक्त राष्ट्र संघ” ने भी सभी नागरिकों के लिये एक समान आचार संहिता का सुझाव पूर्व में तत्कालीन भारत सरकार को दिये थे।अत: इसमें आने वाले सभी व्यवधानों को हटवा कर “समान नागरिक संहिता” की अविलंब व्यवस्था करके राष्ट्रीय विकास को गति प्रदान की जा सकती है।

3__यह भी सर्वविदित है कि आज  देश की विभिन्न समस्याओं की जड़ बढती जनसंख्या भयंकर रूप ले चुकी है।अत: अनेक राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिये सभी देशवासियों के लिये एक समान “जनसंख्या नियन्त्रण कानून” बनाना आवश्यक हो गया है।

4_बहुसंख्यकों व अल्पसंख्यकों में परस्पर बढते संघर्षों पर अंकुश लगाने के लिये “अल्पसंख्यक मंत्रालय” व “अल्पसंख्यक आयोग” आदि व इससे सम्बंधित सभी संस्थाओं को निरस्त करके समस्त देशवासियों में सामाजिक व साम्प्रदायिक सद्भाव बनाने का सार्थक प्रयास किया जाना चाहिये ।

5_क्या यह विचार करना अनुचित होगा कि विदेशी आक्रांताओं के धर्म/मजहब को हमारे देश में धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता हैं? क्योंकि उन धर्मों का उद्गम भारत भूमि पर नहीं हुआ है। ऐसे में  “संयुक्त राष्ट्र संघ” के अनुसार “अल्पसंख्यक” कौन को परिभाषित करके सुनिश्चित किया जाना उचित होगा।

6__आपातकाल में धर्मनिरपेक्षता को संविधान में जोड़ना न्यायसंगत नहीं था, अत: इसकी पुन: विवेचना करके राष्ट्रहित में इसे हटाया जाए। Comment by Suresh Vyas: The word ‘secular’ was inserted in the constitution during Indira’s emergency time by her w/o any due democratic process. Therefore, it must be deleted just by the order of the President. No lengthy process should be required to correct what was illegal in the first place. Jaya sri krishna!

अत: अन्त में आपसे विनम्र अनुरोध है कि आज जब “सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास” राष्ट्रीय मन्त्र बन चुका है तो सशक्त व समर्थ भारत के लिये ऐसे कुछ कठोर निर्णय लेकर माँ भारती के प्रधान सेवक की भूमिका को चरितार्थ करें।

सधन्यवाद

निवेदक

विनोद कुमार सर्वोदय
(राष्ट्रवादी चितंक व लेखक)
गाज़ियाबाद (उ.प्र.)

विशेष नोट:
*समर्थ भारत__सशक्त भारत*
आप सभी माननीय भारतभक्तों से अनुरोध है कि 30 अगस्त को हमारे मा. प्रधानमंत्री जी कि   *”मन की बात”* कार्यक्रम में  उपरोक्त सुझाव रखे।

कृपया उपरोक्त सुझाव देने के लिये टोल फ्री नं.1800117800 पर काॅ‌ल करें तत्पश्चात एक बीप सुनाई देने पर तुरंत अपनी बात कम शब्दों में केवल 40-45 सेकंड में रखे। क्योंकि इससे अधिक रिकार्ड नही हो पायेगी।ध्यान रहे कि आप इस नम्बर पर केवल दो बार ही अपनी बात कह सकते हैं।
आप ईमेल appt.pmo@gov.in पर भी करके अपने सुझाव दे सकते हैं।

इस संदेश को अपने सभी मित्रों व  साथियों को भेज कर अपने राष्ट्र को महान बनाने में प्रधानमन्त्री जी को भी सशक्त करके जन-जन में राष्ट्रभक्ति का संचार करें।

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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