मंदिर के अंदर अवश्य ध्यान रखें ये बातें .


From: Murli dhar Gupta < >

 

मंदिर के अंदर अवश्य ध्यान रखें ये बातें :

 

सनातन धर्म कुदरत के कण-कण में भगवान को देखता है। इसी आस्था से कई देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है।

इसलिए हर देवालय मन, विचार व व्यवहार को पवित्र व साधने वाली ऊर्जा देने वाले शक्तिस्थल भी माने जाते हैं।

 

हर देवी-देवता विशेष शक्ति साधना के लिए पूजनीय हैं। देव उपासना से कार्य विशेष को साधने के लिए बुद्धि और विवेक मिलने की आस्था ही भक्त को देवालय तक खींच लाती है। चूंकि देव शक्ति से जुड़ी यही श्रद्धा और आस्था सब कुछ संभव करने वाली मानी गई है। इसलिए यह भी जरूरी है कि देवालय में पहुंच देव दर्शन की मर्यादाओं का पालन हो।

 

यहां बताई जा रही मंदिर में देवी-देवताओं के दर्शन के तरीके न केवल खुद के साथ दूसरों की भी देव आस्था खंडित होने से बचाएंगे, बल्कि औरों को भी धर्म आचरण के लिए प्रेरित करेंगे।

 

– मंदिर में प्रवेश करते वक्त बहुत ही धीमी आवाज में घंटा बजाएं ताकि ज्यादा आवाज से दूसरों का भी देव ध्यान भंग न हो।

– मंदिर के अंदर देव प्रतिमा के सामने जो भी देव विशेष का वाहन हो (जैसे देवी का सिंह, शिवजी का नंदी, गणेशजी का चूहा आदि) के बगल में खड़े होकर, दोनों हाथों को जोड़ दर्शन करें।

 

– दर्शन के दौरान सबसे पहले देवता के चरणों में नजर को केन्द्रित करें। फिर भगवान के वक्षस्थल या छाती पर मन को टिकाएं और आखिर में देव प्रतिमा के नेत्र पर दृष्टि साध उनके पूरे स्वरूप को आंखों व ह्रदय में उतारें।

 

– देव प्रतिमा पर दूर से फूलों को फेंके नहीं, बल्कि उनके चरण कमलों में स्वयं या पुजारी के जरिए अर्पित करें। ऐसा भी संभव न हो तो भेंट थाली में पूजा सामग्री रख सकते हैं। अक्सर परिजनों को कई मौकों पर घर के बड़े-बुजुर्गों से परिवार के अशांत माहौल या व्यक्तिगत जीवन को सुकूनभरा बनाने के लिए मन या घर को मंदिर बनाने की नसीहत मिलती है। क्या कभी आपने भी इन बातों पर गौर किया है कि आखिर घर या मन को मंदिर से जोड़ने के पीछे असल भावना क्या होती है।

 

दरअसल, इसमें मंदिर से जुड़ी उस खास खूबी की ओर संकेत भी होता है जो मानसिक तौर पर सुखी रहने के लिए बेहद जरूरी है। मन व घर के लिए अहम यह बात है– शांति। शांति की ही बात करें तो यह देवता व मंदिर की मर्यादा बनाए रखने के अलावा कुछ खास वजहों से भी जरूरी मानी गई है।

 

आखिर मंदिर जाएं तो क्यों वहां शांति बनाए रखना चाहिए, जानिए इसकी कुछ खास वजहें – – शास्त्रों में बताया गया है कि प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण हैं- सत या सात्विक गुण, रज या रजोगुणी व तम या तमोगुणी। देवता सत्त्व गुणों के प्रतीक हैं। इसलिए माना जाता है कि मंदिर की देव मूर्तियों से भी सात्विक ऊर्जा निकल चारों और फैलती हैं। किंतु पूजा, कीर्तन या आरती को छोड़ दूसरी तरह की अनावश्यक बातों या अपशब्दों से निकलने वाली रजोगुणी व तमोगुणी ऊर्जा इसमें रुकावट बनती हैं। इससे भक्त व श्रद्धालुओं को देवीय ऊर्जा का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।

 

– मन की शांति के लिए जरूरी है– एकाग्रता, जो मंदिर में शांति बनाए रखने से ही मुमकिन है।

 

– शोरगुल से पैदा किसी भी रूप में कलह देवालय की पवित्रता व चैतन्यता भी कम करता है।

 

 

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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