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आसाम को वृहद इस्लामी राज्य बनाने की साजिश

 आसाम में क्‍यों लगी आग?

–    अश्‍वनी कुमार

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिस राज्य का संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं उस राज्य में हिंसा का तांडव जारी है, 41 से अधिक मौतें और अपने ही देश में डेढ़ लाख लोगों का शरणार्थी हो जाना कोई मामूली बात नहीं। अपनी रहने की जगह पर अधिकार जताने से किसी को रोकने से अजीब बात कोई और नहीं होती। अपनी ही जगह पर ताकत से नहीं बल्कि वोट बैंक की राजनीति के कारण शत्रुतापूर्ण बाहरी लोगों की लगातार घुसपैठ तो राष्ट्र की अवधारणा के ही विपरीत है। एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में यह काम अधिक आसानी से हो सकता है। देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र शासकों की नीतियों के चलते आक्रामक समुदाय के लिए यह वरदान सिद्ध है, जिसका मकसद पूरी तरह कुत्सित और निरंकुश होता है। इससे भारतीयों की अपनी जीने की जगह को अवैध बंगलादेशी समुदाय को जीने की जगह में बदलने में वैधता मिल जाती है। आज असमिया समाज और अवैध बंगलादेशी घुसपैठिये सीधे संघर्ष की स्थिति में पहुंच चुके हैं। इसके लिए जिम्‍मेदार और कोई नहीं बल्कि जिम्‍मेदार है कांग्रेस। कांग्रेस ने राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर बंगलादेशी घुसपैठियों को अपना वोट बैंक बनाने की साजिश की। 20 वर्ष से भी अधिक समय से असमिया पहचान तय करने के एकमात्र कानून के रूप में आईएम (डीटी) एक्‍ट का लागू रहना इस बात का प्रमाण है कि धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्‍यकों की सुरक्षा के नाम पर कांग्रेस पार्टी किस हद तक चली गई। वर्तमान में हो रही हिंसा आने वाले खतरे का संकेत दे रही है क्‍योंकि इसके पीछे वजह है बंगलादेश से अवैध घुसपैठ। केन्द्र सरकार कितना भी इंकार करे लेकिन हिंसा के पीछे अवैध घुसपैठियों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

असम में तनाव कोई एक दिन में नहीं फैला। बोडो और गैर बोडो समुदाय के बीच पिछले कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव का कारण था स्वायत्तशासी बीटीसी में रहने वाले गैर बोडो समुदायों का खुलकर बोडो समुदायों द्वारा की जाने वाली अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के विरोध में आ जाना। गैर बोडो समुदायों के दो संगठन गैर बोडो सुरक्षा मंच और अखिल बोडोलैंड मुस्लिम छात्र संघ अलग बोडोलैंड की मांग के विरुद्ध सक्रिय हैं। दोनों ही संगठनों में अवैध रूप से आए बंगलादेशी घुसपैठिये मुस्लिम समुदाय के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं। इससे तनाव तो बन ही रहा था, जिसकी प्रतिक्रिया कोकराझार जैसे बोडो बहुल इलाकों में हो रही थी।

दोनों संगठन बीटीसी इलाके के जिन गांवों में बोडो समुदाय की आबादी आधी से कम है उन गांवों को बीटीसी से बाहर करने की मांग कर रहे हैं जबकि बोडो आबादी अलग राज्य की मांग कर ही रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब गैर जनजातीय समुदाय खुले रूप से स्थानीय जनजातीय आबादी के विरुद्ध सीधे टकराव पर उतर आए हैं।

बंगलादेश की सीमा से सटा धुबरी जिला बड़ी समस्या बन चुका है। इस जिले में लगातार घुसपैठ हो रही है। 2011 की जनगणना में यह जिला मुस्लिम बहुल हो चुका है। 1991-2001 के बीच असम में मुस्लिमों का अनुपात 15.03 प्रतिशत से बढक़र 30.92 प्रतिशत हो गया है। इस दशक में असम के बोगाईगांव,कोकराझार, बरपेटा और कछार के करीमगंज और हाईलाकड़ी में मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है। मुस्लिम आबादी 2001 से अब तक कितनी बढ़ी होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। आज स्थिति यह है कि राज्य की जनसंख्‍या का स्वरूप बदल चुका है और अवैध घुसपैठिये असम के मूल वनवासियों, जनजातियों की हत्याएं कर रहे हैं, उनके घर जलाए जा रहे हैं, उनको अपनी ही जमीन से बेदखल किया जा रहा है।सरकार के संरक्षण में भारत के नागरिक बन बैठे घुसपैठिये भारत के मूल नागरिकों का ही नरसंहार कर रहे हैं। बंगलादेशी कट्टरपंथियोंघुसपैठियों अैर आतंकवादी संगठनों की बदौलत एक वृहद इस्लामी राज्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। असम के मूल नागरिकों को बंगलादेश के हिन्दुओं की तरह से ही दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का षड्यंत्र आकार ले चुका है। अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर करने की राष्ट्रवादी मांग को साम्‍प्रदायिक कर देने की कुत्सित राजनीति आज भी चरम पर है। असम और दिल्ली में बैठे धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारो सम्‍भल जाओस्थिति की गम्‍भीरता को समझोमातृभूमि की रक्षा का संकल्प करो वरना यह राष्ट्र तुम्‍हें कभी माफ नहीं करेगा।

पंजाब केसरी संपादकीय 27 जुलाई 2012

 आसाम में क्योंी लगी आग

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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