A poem – ओ भारत देशके लोगों

॥ ओ भारत देशके लोगों  ॥

– सुरेश व्यास

Desh so rahaa hai sign

ओ भारत देशके लोगों अब जलदी से जागो ।

अपना ईतिहास तो जानो खुद अपनेको पहचानो ॥1॥

क्या शक्ति है तुममें क्या ताकत है तुममे ।

अपना धर्म उठाकर जो कुछ चाहे वो पा लो ॥2॥

कुछ सदीयोके पहले आर्यवर्तके अंदर ।

न कोई इस्लामी था न कोई ईसाई था ॥3॥

श्री रामचन्द्रके जैसे पुजनीय राजा थे ।

ऋषि वसिष्ठ जैसे पूजनीय गुरुओं थे ॥4॥

घर घरमें गौवेंथी गांवोंमें गुरुकुलें थे ।

हरे हरे खेतों थे हत्ती और घोडे थे ॥5॥

बडे बडे मंदीर थे होताथा कथा कीर्तन ।

संध्याके समयोंमें चलते थे सब दर्शन ॥6॥

आरतीयां होतीथी शंख ध्वनि होतेथे ।

घंटारव होते थे प्रसाद सब पाते थे ॥7॥

हर कलामें हम आगे थे हर ज्ञानमें हम आगे थे ।

सोना था रुपा था हीरे और मणी मोती थे ॥8॥

फिर कालने कारवट बादली गीताका धर्म हम चूके ।

मुसलमानोंने आ कर मंदीरोंको तोडे ॥9॥

ये कैसा है धर्म कि है बिलकुल अधर्म ।

हम गायोंको पूजें और वो गायोंको खायें ॥10॥

हम एक पत्नि रख्खें वो चार पत्नि रख्खें ।

हम कभी न उसको छोडें वो कभी भी उसको छोडें ॥11॥

जो मंदिर वो देखे वो मंदिर वो तोडे ।

जहां जहां मस्जिद है वहां वहां मंदिर थे ॥12॥

जो तीर्थ स्थान वो देखें वो तीर्थ श्थान वो रोके ।

वेद पुराण शस्त्रोंकी खूब खूब होली की ॥13॥

इस्लाम एकही सच है अल्लाह एक सच है ।

काफिरोंको काटो और स्वर्ग जल्द पावो ॥14॥

ओ मूर्ख हिन्दु लोगों ओ मूर्ख हिन्दु लोगों ।

अगर जान प्यारी हो तो मुस्लिम बन जाओ ॥15॥

ऐसा कहते कहते बार बार वो आये ।

बहनोंकी लूंटी लाजें कतलें की घरों जलाये ॥16॥

सदीयों तक ऐसा हुआ पर ओ दुनिया तुम देखो ।

हिन्दु धर्म जिन्दा है ये चमत्कार देखो ॥17॥

सत्यम् एव जयते सत्यम् एव जयते ।

पर सत्य तब जीते जब सत्य सब जाने ॥18॥

तो सत्य प्रसाद लेलो और सत्य प्रसाद बांटो॥

चोंटे तो खायीथी पर अब न खायेंगे हम ।

क्या जुल्म सहे थे हमने अब जुल्मीसे लडेंगे -19॥

धर्मको जब हम चूके तब दुश्मनोसे हारे ।

अब धर्म कवचको धरके दुश्मनोको जीतें ॥20॥

ईन पीछली सदियोंमें कुछ हिन्दु जो दुर्बल थे ।

वो हिन्दु न रह शके वो मुसलमान बन गये ॥21॥

ओ भारतके मुस्लिम यह बात ठीक समझलो ।

असल बात यह है कि तुम हिन्दुके बच्चे हो ॥22॥

हमने भी भूलें की थी हमसे भी पाप हुए थे ।

अब हम समझ रहे हैं क्या पाप हम किये थे ॥23॥

कृष्णने जातें बनाई गुणकर्म के यथावत ।

और हमने जातें बनाई जन्मके यथावत ॥24॥

जैसे शरीर अंग न ऊंच और नीच हैं ।

वैसे कोईभी जाती न ऊंच और नीच है ॥25॥

ये बात हमने भूली अफशोस हे कि भूली ।

जो पाप हुवे थे ऐसे वो पाप कभी न होंगे ॥26॥

हम अब बदल रहे हैं हम अब बदल गये हैं ।

सच्चा सनातन धर्म हमने समझ लिया है ॥27॥

जब जान खतरेमें थी तब वे मुस्लिम हुए थे ।

अब खतरा कोई नहीं है तो क्युं मुस्लिम तुम बने रहें ॥28॥

ओ भाई बात ये मानो ओ भाई बात ये मानो ।

आओ शीघ्र तुम आओ हिंदु वापस बन जाओ ॥29॥

हिन्दु वापस बन जाओ हिंदु वापस बन जाओ ।

फिर एकबार बोलो फिर बारबार बोलो ॥30॥

राम कृष्ण जय हो राम कृष्ण जय हो ।

सनातन धर्म जय हो सनातन धर्म जय हो ॥31॥

अंगरेजी जब आये तो बोले धंधा करेंगे ।

कुछ साल बाद बोले कि वो हि राज करेंगे ॥32॥

कुछ ढाई सदीयां पहले ये अंगरेजी आये ।

पर वो देशके अंदर दुश्मन धर्म ले आये ॥33॥

ए ईसाई भी कहते हैं कि ईसा एकहि सच है ।

ये मंदिरे व मूर्ति अधर्म सैतानगी है ॥34॥

ये ईसाई और ईस्लामी समजो दोनो भाई ।

हम गायोंको पूजें और वो गायोंको काटें ॥35॥

गीता तो कहती है कि हर जीवमें आत्मा है ।

और वो कहते हैं कि प्राणीमें आत्मा नहीं है ॥36॥

हम कहतें धरतीको पूजो वो कहतें धरतीको लूंटो॥

गीता कहती है नम्र बनो और वो कहते हैं अकड रहो ॥37॥

उसने भी हमको मारा क्या हुशियारीसे मारा ।

ईतिहास हमारा नश्ट किया झूठा ईतिहास सिखा दिया ॥38॥

हम कौन हैं हमको भूला दिया हमको अपनाहि दुश्मन बना दिया ।

ईतिहास हमारा नष्ट किया झूठा ईतिहास सिखा दिया ॥39॥

हम क्या हैं हमको भूला दिया अपना हि दुश्मन बना दिया ।

धर्म प्रेम छुडा दिया देश प्रेम छुडा दिया ॥40॥

अंग्रेजी बाबु बना दिया अंगरेजी गाने सिखा दिया ।

ओ भारत देशके लोगों अब जलदी से जागो ॥41॥

अपना ईतिहास तो जानो खुद अपनेको पहचानो ।

क्या शक्ति है तुममें क्या ताकत है तुममें ॥42॥

अपना धर्म उठाकर जो कुछ चाहे ले लो ।

धर्म पाओ कृष्णसे अर्थ पाओ धर्मसे ॥43॥

भोग पाओ धर्मसे मोक्श पाओ अंतमें ।

ये सभ्यताको देखो कितनी गिरी हुई है ॥44॥

मा बच्चोंको मारे बच्चें गुरुको मारें ।

नीच अधम पापी धर्मको सिखायें ॥45॥

ओ भारतके पुत्रों ओ ऋषियोंके पूत्रों ।

ये अंधेरी दुनियाका अंधेरा तुम दूर करो ॥46॥

गीता चिराग ले कर उपनिषद् चिराग ले कर ।

घरसे बहार आओ जगका अंधियारा दूर करो ॥47॥

दिया मत छुपाओ बहुत अंधेरा है ।

कहते हैं रामानुज और मध्वाचार्यजी ॥48॥

और भक्तिवेदान्त स्वामि श्री प्रभुपादजी ।

राम कृष्ण जय हो राम कृष्ण जय हो ॥49॥

सनातन धर्म जय हो सनातन धर्म जय हो ।।

॥समाप्त॥

A poem – ईंट लावुं छुं भींत बाधशुं ने ?

ईंट लावुं छुं भींत बाधशुं ने ?

ईंट लावुं छुं, भींत बाधशुं ने ?

बीजो लावुं छु, बगीचो करशुं ने ?

संख्या छे, तो संप करशुं ने ?

दुश्मन छे, तेने हरावी देशुं ने ?

मुद्दो कहुं छु , गीतो लखशुं ने ?

गीता तो छे, तो ते गाशुं ने ?

धर्म जाणीने धर्मी बनशुं ने ?

माबेन वहु बेटीओनुं रक्षण तो करशुं ने ?

गांधी जे न करी शक्यो ते सरदार थई करशुं ने ?

एक नरेंद्र छे, तो हजार नरेन्द्रो करशुं ने ?

लांच मागे तेने लात देशुं ने ?

गन लावुं छुं , गोळीओ छोडशुं ने ?

असुरो छे, तेने फूंकी देशुं ने ?

जेणे लाज लिधी, तेनी जान लेशुं ने ?

देश आपणो छे, तो रक्षण करशुं ने ?

मन्दीर तोडे तेना मोढां तोडशुं ने ?

रामदेव छे तो रामभक्त बनशुं ने ?

संप-मतना एक झटाके रामराज करशुं ने ?

स्वीसमांथी देशी पैसा देशमां तो लावशुं ने ?

खोटा छापां बंध करी सत्य समाचार देशुं ने ?

दाळ चोखा छे, तो कांकरा काढशुं ने ?

भारत वेदिक देशमांथी कुरान बाईबल काढशुं ने ?

वेद विश्वनो छे, तो धर्म रक्षण करशुं ने ?

असुरोनो नाश करी हरि कीर्तन करशुं ने ?

‘Skanda’

A poem – એ તો કૃષ્ણ કનૈયો છે

એ તો કૃષ્ણ કનૈયો છે
જે સૌ ના હૃદયે બેઠો છે

વૈકુંઠ માં તે બિરાજે છે
ને બધે પણ તે બેઠો છે

તે સર્વ શક્તિમાન છે
તે સર્વ વ્યાપી છે
બધે તેની કીર્તિ છે
સર્વ શક્તિ તેની છે
સર્વ સંપત્તિ તેની છે
તે સર્વ જ્ઞાની છે
તે પૂર્ણ વૈરાગી છે
સર્વથી તે સુંદર છે

તે ત્રિગુણાતીત છે
તે માયાથી પર છે

જે તેને શરણે જાય છે
તે માયાથી છૂટે છે

‘સ્કંદ’ આ કહે છે
જે ગીતામાં કહેલું છે

‘Skanda’

Namaste Hindus!

Dear Sanaatan Dharmies!

Use this blog for articles and poems that evoke and increase Vedic dharma prem and Vedic raashtra prem.

The Vedic scriptures provide a universal religion for mankind, and that is why it is called Dharma. It needs to be understood correctly, and live by dharma.

Please understand and inform others that making Hindustan a Hindu State cannot be any problem to anyone because the Hindu dharma provides proven processes (yoga’s.) Practicing any yoga any human can advance spiritually, and spiritual advancement of anyone or any nation cannot cause any problem to anyone. Therefore, please unite and act, and make Hindustan, our devabhuumi, a Hindu State; without which the Hindu dharma and samskriti may not survive in Hindustan against the forcibly invaded anti-Vedic religion(s) in Hindustan.

Please economically boycott Muslims, with unity, till they quit Islam or quit Bhaarat. After the 1947 partition Islam should not be in Bhaarat.

We need to use that Vedic knowledge to solve our personal or national problems.  Please insist on Gov’t and Hindu org’s to use svadeshi concepts and processes just as we insist for svadeshi products and service.

Jai Sri Krishna!

‘Skanda’