He say to make collector responsible to ensure no one dies of hunger in his/her area. If dies, then hang the collector for the death, he demands.
https://youtu.be/gcrBj029VkQ?t=574
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He say to make collector responsible to ensure no one dies of hunger in his/her area. If dies, then hang the collector for the death, he demands.
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From: Tulsi < >
वतन बेच कर पण्डित नहेरु फूले नहि समाते है ,
फिर भी गांधी की समाधि पर झुक झुक फूल चढाते है॥ – नागार्जुन
आझाद मैदान
कवी : सुजाता पाटील, पोलिस निरीक्षक
माटुंगा वाहतूक विभाग, मुंबई
हम ना समजे थे बात इतनी सी,
लाठी हाथ मे थी, पिस्टोल कमरपे थी,
गाडीयां फूकी थी, आखे नशीली थी,
धक्का देते उनको, तो वो भी जलते थे,
हम ना समजे थे, बात इतनी सी. *
होसला बुलंद था, इज्जत लुट रही थी,
गिराते एक एक को, क्या जरुरत थी इशारों की?
हम ना समजे थे, बात इतनी सी.
हिम्मत की गद्दारोने, अमर ज्योती को हाथ लगाने की,
काट देते हाथ उनके तो, फ़िर्याद किसी की भी ना होती.
हम ना समजे थे, बात इतनी सी.
भूल गये वो रमझान, भूल गये वो इन्सानियत,
घाट उतार देते एक-एक को,
अरे क्या जरुर्त थी, किसी को डर्रने की,
संगीन लाठी तो आपके ही हाथ मे थी.
हम ना समजे थे, बात इतनी सी.
हमला तो हमपे था, जनता देख रही थी,
खेलते गोलीयों की होली तो,
जरुरत ना पडती, नवरात्री के रावन जलाने की.
रमझान के साथ साथ दिवाली भी होती
हम ना समजे थे, बात इतनी सी.
सांपको दूध पिलाकर
बात करते है हम भाईचारे की,
ख्वाब अमर जवानो के
और जनता भी डरी डरी सी.
हम ना समजे थे, बात इतनी सी.
*This line is by Javed Akhtar
Source: youtube.com/watch?v=fiekTkZqi3Q
Source: youtube.com/watch?v=kUclbgtneGg
By Abinash Sanu
आज़ादी की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया,
स्वयं कफ़न की गाँठ बाँध कर सातों भांवर घूम गया!
उस सुभाष की आन जगे और उस सुभाष की शान जगे,
ये भारत देश महान जगे, ये भारत की संतान जगे |
झोली ले कर मांग रहा हूँ कोई शीष दान दे दो!
भारत का भैरव भूखा है, कोई प्राण दान दे दो!
खड़ी मृत्यु की दुल्हन कुंवारी कोई ब्याह रचा लो,
अरे कोई मर्द अपने नाम की चूड़ी पहना दो!
कौन वीर निज-ह्रदय रक्त से इसकी मांग भरेगा?
कौन कफ़न का पलंग बनाकर उस पर शयन करेगा?
ओ कश्मीर हड़पने वालों, कान खोल सुनते जाना,
भारत के केसर की कीमत तो केवल सिर है,
और कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर है !
रण के खेतों में छाएगा जब अमर मृत्यु का सन्नाटा,
लाशों की जब रोटी होगी और बारूदों का आटा,
सन-सन करते वीर चलेंगे ज्यों बामी से फ़न वाला|
जो हमसे टकराएगा वो चूर चूर हो जायेगा,
इस मिट्टी को छूने वाला मिट्टी में मिल जायेगा|
मैं घर घर इंकलाब की आग जलाने आया हूँ !
हे भारत के राम जगो मै तुम्हे जगाने आया हूँ |
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