राष्ट्रवाद का विजय रथ 


From: Vinod Kumar Gupta < >

राष्ट्रवाद का विजय रथ

17 वीं लोकसभा के चुनावी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि मोदी जी के नेतृत्व में एन डी ए  की यह भारी विजय स्वस्थ राष्ट्रवाद की जीत है। सामान्यतः भारतीय जन मानस सहिष्णु व उदार होने के कारण प्रायः हिंसक नही होता। उसको प्रेम, दया व क्षमा में धर्म के दर्शन होते है। अतः श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 5 वर्ष के अल्पकाल में सम्पूर्ण राष्ट्र में शांति का जो वातावरण बना उससे राष्ट्रवादी समाज अवश्य प्रभावित हुआ। कश्मीर,बंगाल व केरल आदि के कुछ मुस्लिम बहुल क्षेत्रो को छोड़ कर इस्लामिक जिहाद से सामान्यतः देशवासियों को पूर्व की तुलना में स्थिति कुछ संतोषजनक रही।

लेकिन सीमाओं पर शत्रु देश पाकिस्तान युद्धविराम का उल्लंघन करके सुरक्षा बलों को ललकारता रहा और आतंकवादियों द्वारा बम विस्फोट करवाने में लिप्त रहा। इस पर शासन-प्रशासन का आक्रोशित होना स्वाभाविक था। अंततोगत्वा मोदी सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। यह स्मरण रखना चाहिये कि सितंबर 2016 व फरवरी 2019 में भारतभक्तों के आक्रोश को आक्रमण का रूप देकर मोदी जी ने सेना के अद्भुत कौशल का परिचय देते हुए शत्रु को उसके घर में जाकर ही ढेर करने में सफलता पायी। यही वह कुछ मुख्य बिंदु होते है जो साधारण नागरिकों को प्रभावित करने में नहीं चूकते। प्रायः शासक अगर आक्रामक हो कर जनता के हितों की रक्षा करे तो वह अत्यंत स्वागत योग्य हो जाता है।

श्री नरेंद्र मोदी ने अनेक कार्य विकास के किये साथ ही अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण में भी विशेष भूमिका निभायी और जम्मू-कश्मीर में घोर विरोधी महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार भी बनायी। परंतु मुख्यधारा से पृथक रहने वाले कट्टर इस्लाम के अनुयायियों को समझना सरल नहीं। फिर भी सेना के द्वारा चलाये गए आतंकवाद विरोधी अभियान ऑपरेशन आल आउट से उनको सफलता मिलती जा रही है। हज़ारों एन जी ओ  जो देशद्रोही कार्यों में संदिग्ध पाये गए उनको प्रतिबंधित करके मोदी जी ने एक विशाल वर्ग को अपने विरुद्ध कर लिया। जाली नोटों के प्रचलन से बढ़ते भ्रष्टाचार व आतंकवाद को रोकने में जब नोटबंदी करके करेंसी को बदला गया तो जैसे देश में तूफान आ गया था। इस पर विपक्ष हमलावर हो गया परंतु दृढ़ निश्चय के धनी मोदी जी ने अपने निर्णय में कोई परिवर्तन नहीं किया। वही जी एस टी पर व्यापारियों की अप्रसन्नता को झेल कर विपक्ष को भी मौन करने में सफल हुए। विश्व में अनेक राष्ट्रों से मधुर सम्बन्ध बढ़ा कर मोदी जी द्वारा भारत के स्वाभिमान के बढ़ने से भी भारतीय जनमानस में मोदी जी की एक विशिष्ट छाप पड़ी।

जबकि मोदी जी को “चौकीदार चोर है” के न थमने वाले नारे अपनी सभाओं में लगवाने वाले राहुल गांधी स्वयं हास्य का पात्र बन गये है। निःसंदेह श्री नरेंद्र मोदी पर अपशब्दों की बौछार करके गांधी परिवार सहित सभी विपक्षियों ने संस्कारहीन असभ्य व्यवहार किया। कांग्रेस का देशद्रोह कानून व सेनाओं के कश्मीर में अधिकार कम करने सहित अन्य रक्षा संबंधित विषयों को प्रभावहीन करने का अशुद्ध विचार पर राष्ट्रवादी समाज बहुत अप्रसन्न था। इसके साथ ही पूर्व में प्रस्तावित साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम अधिनियम (2011) के समान ही हिन्दुओं को कटघरे में लाने के लिए नए रूप में “धर्म घृणा कानून” बनाने का भी कांग्रेस का विचार घोषणा पत्र से झलका।

अतः 2019 की भारी चुनावी विजय श्री नरेंद्र मोदी व श्री अमित शाह आदि के समस्त सहयोगियों के साथ करोड़ों राष्ट्रवादियों की जीत है। 21 मई को नई दिल्ली में  22 विपक्षी दलों की सभा का निष्कर्ष केवल यह था कि संभावित पराजय की खीज में आम जनता को भड़काना चाहते थे। एक नेता तो अपनी हताशा में इतना अधिक बोल गया कि अगर आक्रोशित जनता का सड़कों पर खून बहेगा तो उसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर होगी। चुनाव परिणामों से 2 दिन पूर्व जिस तरह विपक्षी दल ईवीएम मशीन के बहाने धमकी भरी बयानबाजी करके सामान्य जनता को भड़का कर देश में अराजकता का वातावरण बनाने का दुःसाहस कर रहे थे। अब सभी मिलावटी गठबंधन वाले ईवीएम की सुरक्षा करने के लिए विवश हो कर सम्भवतः इस सत्य को स्वीकार कर रहे हैं कि “वे भी चौकीदार है”।

लेकिन बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने जिस प्रकार 15 मई के समाचार के अनुसार भाजपा के दिल्ली स्थित कार्यालयों और उनके अधिकारियों के निवास स्थानों पर आक्रमण करके एक सेकंड में कब्जा करने की धमकी दी थी, वह घोर निंदनीय व अराजकता फैलाने वाली है। क्या इसके पीछे ममता बनर्जी का बांग्लादेशी व म्यांमार के मुस्लिम घुसपैठियों व आतंकवादियों को उकसाने का षडयंत्र था। क्या ऐसी विपरीत परिस्थिति में देश की कानून व्यवस्था को यथावत बनाये रखने के लिए इन नेताओं पर कोई अंकुश लगाने का कोई वैधानिक अधिकार सर्वोच्च न्यायाधीश को नहीं है? यद्यपि अब यह सब विवादित व अपमानित करने वाले चुनावी वातावरण के तत्कालीन विषय एनडीए के मोदी व शाह के नेतृत्व में पुनः विजयी होने से स्वतः ही शांत हो गए है।

आज इस विशाल विजय का समस्त राष्ट्रविरोधियों व देशद्रोहियों को स्पष्ट संदेश है कि भारत व भारतवासियों से प्रेम करो। अलगाववाद व आतंकवाद आदि जिहादी मानसिकता को छोडो। जहां की वायु ,जल व अनाज आदि के ग्रहण करने से जीवन को सुखमय बनाने में सफल होते हो तो उस मातृभूमि के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक होना सीखो। “जियो और जीने दो” के मंत्र को अपना कर कट्टरवादिता व साम्प्रदायिकता की कुटिलता से बच कर जिहादी मानसिकता को नष्ट करो।

अब नवगठित राष्ट्रवादी सरकार को राष्ट्रहित में कुछ ठोस निर्णय लेने होंगे। देश की धन-दौलत को लूटने वाले भ्रष्टाचारियों को वैधानिक आधार पर बंदीगृह में डालना होगा। राष्ट्रवाद के विजय रथ को राजपथ पर दौड़ाते रहने के लिए आंतरिक सर्जिकल स्ट्राइक द्वारा गली-गली में आतंकवादियों व घुसपठियों के अड्डों को नष्ट करके देश व देशवासियों को सुरक्षित करना होगा। बढ़ते नक्सलवादी षडयन्त्रों के अहिंसक व हिंसक षड्यंत्रकारियों के ठीकानों पर कब्जे करने होंगे। देशवासियों की वर्षो पुरानी मांगों पर  आवश्यक विचार करना होगा। मुख्य रूप से “समान नागरिक संहिता” व “जनसंख्या नियंत्रण कानून”  संविधानानुसार बनाना चाहिये। स्वतंत्र भारत की प्रमुख कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अनुच्छेद 35A व 370 निरस्त करवाये व कश्मीरी हिन्दुओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करवाने की योजना को आगे बढ़ाये।

विभाजन की त्रासदी से पीड़ित होकर जम्मू-कश्मीर में रहने वाले शरणार्थियों को प्रदेश की नागरिकता दिलवाकर हनन हो रहे उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाय। देश में  अल्पसंख्यवाद, आतंकवाद व अलगाववाद को पराजित करके राष्ट्रवाद को सुरक्षित करने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय व आयोग को निरस्त करना सार्थक होगा। यह न्याय संगत है और इससे ही “सबका साथ व सबका विकास” सम्भव होगा।

आज… भगवा की जीत मनाओ और उसकी… ज्वलंत ऊर्जा से जिहाद को जलाओ..धर्म बचाओ देश बचाओ मातृभूमि का ऋण चुकाओ… राष्ट्रवाद का विजय रथ अपराजित रहे ऐसा दंड बनाओ।

✍🏻विनोद कुमार सर्वोदय
(राष्ट्रवादी चिंतक व लेखक)
गाज़ियाबाद 201001
भारत

 

Unknown's avatar

Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

Leave a comment