धार्मिक आस्था पर आघात की असुरों की राजनीति


From: Vinod Kumar Gupta < >

धार्मिक आस्था पर आघात की असुरों की राजनीति

 

⭕भारतीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट करके भूमि पुत्र बहुसंख्यक हिंदुओं की आस्थाओं पर निरंतर प्रहार करते रहने की मुगलकालीन परंपरा अभी जीवित है। आज केंद्र में राष्ट्रवादी भाजपानीत राजग सरकार के सशक्त शासन में भी देशद्रोहियों व भारतविरोधियों के षड्यंत्रो पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

⭕यह कितना विचित्र है कि जिस “कांग्रेस” ने आरंभ में गौवंश “दो बैलो की जोड़ी” व “गाय-बछड़े” के चुनाव चिन्ह के आधार पर भी भारतीय संस्कृति का भरपूर लाभ उठाते हुए बहुसंख्यक हिंदुओं को लुभाकर दशकों देश पर शासन किया वहीँ आज सत्ता से बाहर होने पर उन मान बिंदुओं के प्रति भी निरंकुश हो रही है ।

⭕सत्ताहीनता की पीड़ा में कांग्रेसजनों के निरन्तर असन्तुलित व्यवहार से होने वाली छटपटाहट अनेक अवसरों पर उनकी अराष्ट्रीय भावनाओं व अपरिपक्वता के दुखद संकेत कराती है।

⭕ जिसके परिणामस्वरुप केरल में काग्रेसियों के दुःसाहस ने गाय के बछड़े को सार्वजनिक रुप से काट कर उसका वितरण करके समस्त भारतवासियों को आक्रोशित कर दिया है।

⭕क्या खाते है यह व्यक्तिगत है परंतु क्या खा रहें है इसका प्रदर्शन करने का क्या हेतू है? क्या राष्ट्रवादियों की भावनाओं को भडका कर सामाजिक व साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ कर अराजकता फैलाना और साम्प्रदायिक दंगे करवाकर निर्दोष लोगों के जान-माल के साथ साथ राष्ट्रीय सम्पत्तियों हो हानि पहुँचाना उचित है? इस नृशस घटना ने बहुसंख्यक हिन्दुओं के मान-बिंदुओं पर प्रहार करके जिहादी संस्कृति के दुःसाहस को और बढ़ाया है।

⭕हमारा केंद्र व केरल की सरकार से विनम्र अनुरोध है कि इस दुर्दान्त घटना में सम्मलित सभी आरोपियों को अविलम्ब कठोर वैधानिक कार्यवाही करके उचित दंड दिया जाय। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाये कि इस प्रकार से केवल हिंदुओं को अपमानित करने और उनको ठेस पहुँचाने के लिये उनकी संस्कृति व आस्थाओं पर प्रहार करने वालों पर भविष्य में भी कठोर कार्यवाही की जायेगी।

⭕ध्यान रहें केंद्र सरकार ने 23 मई को “पशु क्रूरता निवारण कानून” के अंतर्गत गौवंश, भैस, ऊंट आदि पशुओं के अनावश्यक वध को रोकने और बाज़ार में इन पशुओं की क्रय-विक्रय को नियमित करने की अधिसूचना जारी की थी। परंतु धर्मद्रोहियों ने हम हिन्दू धर्मावलंबियों को पीड़ा पहुँचाने के लिये विशेषरुप से गौवंश काटने और उसके मांस के भक्षण का खुला प्रदर्शन किया है।

⭕अतः इस मानसिकता का पोषण करके उसका सशक्तिकरण करने वाली अमानवीय प्रवृतियों को जब तक कुचला नही जायेगा तब तक माँ भारती पर हो रहें ऐसे आघातो को नियंत्रित नही किया जा सकता।

⭕यह ठीक है कि हमारे संविधान का अनुच्छेद 19 (1 जी) के अनुसार सभी नागरिकों को कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार दिया गया है। परंतु इसको नियंत्रित करने की व्यवस्था भी अनुच्छेद 19 (6) में स्पष्ट कर दी गई है ।जिसके अनुसार यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 19 (1जी) में दिये गये अधिकारों का दुरुपयोग न हो सके इसके लिये केंद्र व राज्य सरकार को उचित क़ानून बनाने का अधिकार प्राप्त है । अतः जिसप्रकार नागरिकों को व्यापार चुनना मौलिक अधिकार है तो उसी प्रकार सरकार का यह दायित्व व अधिकार है कि सभी बाजारो को विनियमित करें और रखें।

⭕यहां यह उल्लेख भी आवश्यक है कि पशु मेले में पशुओं के क्रय-विक्रय में अधिकाँश पशुओ को कत्लगाह, बूचड़खाने व स्लाटर हाउस में कटने के लिये ही भेजा जाता है । जबकि इन मेलों में कृषि कार्यो के लिये पशुओं के क्रय-विक्रय की मान्यता होती है । इसके अतिरिक्त यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि भारत बंग्ला देश की सीमाओं पर गौवंश की तस्करी का वर्षो पुराने आपराधिक कृत्यों में अनेक अपराधी व आतंकवादी निरन्तर सक्रिय रहते है।

⭕एक समाचार के अनुसार भारतीय सीमा सुरक्षा बलों ने भारत-बंग्ला देश सीमा से केवल वर्ष 2015 में ही लगभग एक लाख पशु मुक्त कराये थे जिसमें अधिकांश गाय, बैल व बछड़े थे। उस समय भारत व बंग्लादेश के 400 तस्कर भी पकडे गये थे। परिणामस्वरुप बंग्ला देश में गाय के मूल्यों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई जिससे उनके चमड़ा उद्योग में 15 प्रतिशत व गौमांस के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 75 प्रतिशत की गिरावट हुई थी।

⭕देश में प्रतिवर्ष 14 जनवरी से 29 जनवरी तक पशु कल्याण पखवाड़ा मनाया जाता है, परंतु संभवतः अधिकांश लोगों को यह ज्ञात ही न होगा और न ही उन्होंने कभी सुना व देखा होगा? बहुत से समाजसेवी समय समय पर यह मांग भी करते रहें है कि मानवाधिकारों की तरह पशु अधिकारों को भी नियोजित किया जाये।

⭕भारतीय सेना ने भी अपने डॉग-स्क्वॉयड के डॉग सदस्यों को अवकाश देने के बाद न मारने का कुछ वर्ष पूर्व निश्चय किया था। इस संबंध में अक्टूबर 2015 में राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित एक लेख के अनुसार एक चौकाने वाला प्रसंग है कि स्पेन के एक क्षेत्र / कस्बे ‘टिग्योरास डि वैले’ में एक विचित्र घटना हुई जिसमें उस क्षेत्र में वोटिंग करवा कर बहुमत से वहां के लोगों ने निश्चय किया कि कुत्तो व बिल्लियों आदि पालतु पशुओं को भी “गैर इंसानी नागरिक” का स्टेटस दिया जाय। फिर वहां पशु अधिकार क़ानून में यह स्पष्ट किया गया कि ‘गैर इंसानी नागरिकों’ को अपनी मौज़-मस्ती के लिए तंग करना व तड़पाने का ‘इंसानी नागरिकों’ को कोई अधिकार नही है और उस इंसान को दंडित भी किया जायेगा जो इन पशुओं को यातना देगा।

⭕यहां यह उल्लेख इसलिए आवश्यक है कि जब पालतू पशुओं के प्रति इतनी उदारता व सहिष्णुता मनुष्य में है तो फिर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़े गौवंश के प्रति सम्मान तो सभी को रखना ही चाहिये।

⭕वर्षो से गौवध को प्रतिबंधित करने के अनेक छोटे-बड़े आंदोलन किये जाते आ रहें है और कुछ राज्यों में इसके लिये कानून बने भी है, परंतु राजनैतिक विमर्श बार बार असफल होता रहा है ।

⭕केंद्र सरकार के इस निर्णय का तमिलनाडु, केरल व पश्चिम बंगाल की सरकारों के साथ साथ देशविरोधी तत्वों ने भी विरोध किया है, जबकि राज्य सरकारें इस पर अपने विधि-विधान में आवश्यक संशोधन करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन गऊ माता को ईश्वर तुल्य मानने वाले हिन्दू बहुल समाज की मर्यादाओं को अपमानित करके उनके उत्पीडन से एक विशेष वर्ग (मुसलमानों) को प्रसन्न करने की ओछी राजनीति ने सेक्युलर कहें जाने वाले समाज को जकड़ लिया है।जिससे राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना का सर्वथा अभाव होता जा रहा है ।

⭕इन समस्त आग्रहों, दुराग्रहों व पूर्वाग्रहों के बीच यह सुखद है कि अनेक मुस्लिम नेताओं ने गाय को “राष्ट्रीय पशु” घोषित करने व गौवध को प्रतिबंधित करने की मांग उठायी है और उसका समर्थन करने का भी निश्चय किया है।

 

✍🏻विनोद कुमार सर्वोदय

(राष्ट्रवादी चिंतक व लेखक)

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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