From: Pramod Agrawal < >
कुरान नफरत सिखाती है .
दिल्ली की मेट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट-2 जैड़ एस लाहोट ने कुरान पर अपना निर्णय देते हुए कहा कि ” कुरान का गहन अध्ययन करने के पश्चात यह स्पष्ट हो जाता है कि कुरान नफरत सिखाती है, यह मानव को दो भागो मे विभक्त करती है 1.मोमिन तो 2. गैर मोमिन अर्थात काफिर ।” कुरान के आधार पर “काफिर जहन्नुम की आग मे जलाने का ईंधन, जाजिया वसुली का जरिया, काफिरो के धर्म स्थल तोड़ कर अपनी मस्जिदे खड़ी करने की जगहे, काफिरो की “स्त्रिया और सम्पतिया गनीमत का माल” कुरान के इन पंथीय आदेशो को मुसलमान कितना मानते है ये अलग विषय हो सकता है चर्चा और प्रमाणित करने का परन्तु समस्त भारतीय राजनीतिक दल ( अखिल भारत हिन्दू महासभा, राम राज्य परिषद एव प्रजाशक्ति पार्टी के अतिरिक्त ) अवश्य कुरान के इन पंथीय आदेशो को शिरोधार्य कर कार्य कर रही है वही देश का “तथाकथित संविधान जो आज तक भारत की चुनी हुई संसद मे आज तक पारित नही हुआ, भी ” देश की कुरान ही प्रमाणित होती है ।” जिस प्रकार कुरान मानव जाति को मोमिन और काफिर के रूप मे विभक्त करती है उसी प्रकार देश का तथाकथित संविधान देश की मानव जाति को बहुसंख्यक और अल्प संख्या के नाम से विभक्त करता है । जिस प्रकार कुरान के अनुसार “जो ईमान पर इस्लाम और नमाज कुबूल नही करता वह काफिर है और काफिर जहन्नुम की आग मे जलाने का ईंधन है, टीक उसी प्रकार जो देश का इस तथाकथित संविधान की किसी अतार्किक और पक्षपातपूर्ण अधिनियम या उपनियम के विरूद्ध अपना मुँह खोले उसे कानून की “जहनुनुमी आग मे झोंक दो ” । जिस प्रकार कुरान मे ” समस्त अधिकार मोमिनो को हो प्राप्त है ठीक उसी प्रकार देश के इस तथाकथित संविधान मे भी ” अल्पसंख्यको को “विशिष्ट मानते हुए सभी क्षेत्रो मे विशाष्ट अधिकार प्राप्त है ” । जिस प्रकार कुरान के अनुसार ” गनीमत के माल मे से जकेत दो ठीक उसी प्रकार बहुसंख्यको को लूटो और लूटने गये उस “गनीमत के माल माल मे से अल्पसंख्यको को जकात दो”…..देश का बहुसंख्यक (काफिर) जहन्नुम (घोर प्रताड़ना और उपेक्षा ) की आग मे जलाने का ईंधन है और इस ईंधन पर अपनी “राजनीतिक रोटिया सेकती रही है हर सरकार , हर राजनीतिक दल । यदि बहुसंख्यक अपने हितो या अपने अधिकारो को प्राप्त करने, अथवा संविधानिक पक्षपात के विरूद्ध आवाज उठाए तो ” देश के ग्रंथ इस तथाकथित इस संविधान मे निहित विभिन्न आपराधिक धाराओ की जंजीरो मे फाँस कर जेल मे ड़ाल दो और उसका वो हश्र कर दो जिसे देख कर ” बहुसंख्यक इतना आतंकित कर दो कि फिर कोई भी बहुसंख्यक विरोध की शक्ति जुटाने से पूर्व अनेक बार सोचे …। शेष अगली पोस्ट मे जारी है ।
- मुकुल मिश्रा ।