मोहम्मद शहज़ाद खान को इस्लाम नहिं चाहिये।


From: Pramod Agrawal < >

मोहम्मद शहज़ाद खान की कलम से.

 

नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम,

जो जानवरों का गोश्त खाये,

और पाँच वक्त नमाज़ को जाए. नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम.

 

औरत बच्चों का गला कटवाये,

और खुद बाबर कहलाये. नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम.

 

जो मजहब के नाम पर,

मूक जानवर कुर्बान कराये. नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम.

 

जो इंसान किसी इंसान को मारे,

नही चाहिये मुझे ऐसा इंसान. नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम.

 

जो ईमान बेचकर कर खाये,

और खुद को मुसलमान बताये. नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम.

 

कभी गजनबी कभी बाबर, कभी ओरंगजेब बनकर,

इंसानियत का खून बहाया है, कभी हिंदुओं का तो कभी,

अपने ही भाइयों को मारा, जिहाद के नाम पर इंसानियत का,

क़त्ल कर रहे ये हैवान, अगर यही कहता है इस्लाम,

नही चाहिये मुझे ऐसा इस्लाम. (अच्छी बात है। तो इस्लाम छोड दो। – स्कन्द९८७)

 

ए खुदा मुझे अपनी पनाह में ले ले,

इस जिन्दा रूह को शैतान से इंसान बना दे,

नही चाहिये मुझे किसी पीर फकीर की रहमत,

मुझे अकबर बादशाह (नहिं पर) also was very cruel ———

अब्दुल कलाम सा बना दे.

 

इस बहाने इस जमीन का कुछ कर्ज तो चुका पाउँगा,

नही तो मरकर अल्ला को क्या मुँह दिखलाऊंगा.

 

ऐ मेरे परवरदिगार मौत के बाद, मुझे 2 गज जमीं नशीं करना,

जिनने खून बहा ये जमीं हासिल की, उन सब गुनहगारों को माफ़ (ना) करना.

 

अल्ला के नेक बन्दों, मेरी बात एक दिल से लगा लेना,

जिस दौलत पे तुम इतराते हो, उसे असली हकदार को लौटा देना,

खुदा के पास जाने से पहले, अपने सारे गुनाह चुका देना.

 

खुदा के घर किसी का गुनाह माफ़ नही होते.

क्योकिं वहाँ पर झूटे इन्साफ नही होते.

 

यदि मेरे किसी मुसलमान भाई के दिल तक मेरी बात पहुंच जाए,

तो इस ईद पर किसी जानवर की कुर्बानी मत देना, उसकी जगह मिठाई खाना और ख़िलाना.

 

सभी देशवासियों से गुजारिश है इस पोस्ट सहीसलामत आगे भेजें.

 

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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