Ayodhyaa राम मंदिर और धारा ३७०


From: अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी < >

 

नागदा जी को नमस्ते!

 

विषय प्रारम्भ हुआ था, राम मंदिर और धारा ३७० से आप ने पूर्णाहुति की वैज्ञानिकों की हत्या से.

बरगद का वृक्ष कभी सूखता नहीं, तनों से जड़ें निकलती हैं. लेकिन उसका बीज अत्यंत छोटा होता है.

 

अतः पहले राम मंदिर और धारा ३७० पर;

राम मंदिर …

इसका सीधा सम्बन्ध भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से है. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मंदिर बन भी जाये तो भी नहीं रह सकता| उपासना स्थल तोड़ना अब्रह्मी संस्कृतियों का परम धर्म है| (बाइबल, व्यवस्था विवरण १२:१-३, अज़ान व कुरान १७:८१).

 

भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) एलिजाबेथ को अपनी ईसाई संस्कृति और हामिद अंसारी को इस्लामी संस्कृति को बनाये रखने का असीमित मौलिक अधिकार देता है| लेकिन हम वैदिक पंथियों को, जो विश्व के अल्पसंख्यकों में अल्पसंख्यक हैं, को अपनी संस्कृति को बनाये रखने का अधिकार न देना प्रेसिडेंट प्रणब दा और राज्यपालों द्वारा लिए गए शपथ व भारतीय संविधान की अवहेलना है| यह अवहेलना तब तक जारी रहेगी, जब तक भारतीय संविधान प्रभावी रहेगा. धारा ३७० हट भी जाये तो भी इस्लाम का संरक्षण, पोषण व संवर्धन जारी रहेगा, यानी कि हिंदुओं के धन, धरती और नारियों पर अब्रह्मी संस्कृतियों का अधिकार बना रहेगा.

 

(Skanda987’s comment: The constitution is not Supreme, the people who made it ( for whom it is made) are Supreme.  Therefore, they—the Vedics—need to amend the constitution, or re-write, to make it pro-Vedic.)

 

अब आता हूँ नौकरशाही के विरुद्ध वेदना पर,

रुडयार्ड किपलिंग जैसे लोगों ने वैदिक सनातन संस्कृति के अनुयायी आदिमों पर शासन करने हेतु “श्वेतों का उत्तरदायित्व” के रूप में एक पुराणरूढ़ दर्शन (मिथ्) ही प्रस्तुत कर लिया है. इंडियन उपनिवेश के तो राष्ट्रगान के अनुसार ही एलिजाबेथ आज भी हम उपनिवेशवासियों की अधिनायक और भाग्य विधाता है.

 

इसी आधार पर “श्वेत पुरुषों के दायित्व” का सिद्धांत विकसित हुआ है। शासितों में आत्मविश्वास का लोप सामान्य बात है। फलत: सर्वमान्य विश्वास की बात ही नहीं उठ सकती। सारा शासन अप्रत्यक्ष रूप से होता रहा है। शासन की भाषा बाहर से आने पर वैज्ञानिक भाषा ‘संस्कृत’ का विकास अवरुद्ध हो गया है। सरकारी पदों पर अल्पसंख्यकों की नियुक्ति का अनुपात असंतुलित किया गया है। शासन की क्रमबद्धता नष्ट होने से जनस्वीकृति, जनमत, हितरक्षा आदि असंभव हैं। विकासहीनता में शासन यथास्थिति बनाए रखना चाहता है और रूढ़िवादिता एवं अनुदार परंपराओं का वह अभिभावक बन गया है।

नमो ने सत्ता के हस्तान्तरण के पुस्तिका पर हस्ताक्षर किये हैं और भारतीय संविधान में आस्था और निष्ठा की शपथ ली है. भारतीय संविधान वैदिक सनातन धर्म को मिटाने का एक फंदा (बूबी ट्रैप Booby trap) है|

बलात्कार का मुद्दा उठाने से पूर्व खतने और कौटुम्बिक व्यभिचार पर एक लिंक देता हूँ, इस पर गौर करिये.

http://www.aryavrt.com/kautumbik-vyabhichar

 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) और ३९(ग) में संशोधन की क्षमता के पास नहीं है. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद १४७ के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १९३५ तथा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ (Indian independence act 1947) १९४७ के अधीन ही की जा सकती है … दोनों एक्ट ब्रिटिश सरकार ने बनाये व लागू किये हैं.

 

मेल के प्रारम्भ में ही परमाणु वैज्ञानिकों के हत्याओं पर असंतोष प्रगट किया गया है.  सेना देश के सीमाओं की रक्षक है| फिर भी इंडिया में सेना का मनोबल तोड़ने के लिए, १९४७ से ही षड्यंत्र जारी है| क्योकि एलिजाबेथ को वैदिक सनातन संस्कृति मिटाना है. १९४७ में इंडियन सेना पाकिस्तानियों को पराजित कर रही थी| सेना वापस बुला ली गई| सैनिक हथियार और परेड के स्थान पर जूते बनाने लगे| परिणाम १९६२ में चीन के हाथों पराजय के रूप में आया| १९६५ में जीती हुई धरती के साथ हम प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को गवां बैठे| १९७१ में पाकिस्तान के ९३ हजार युद्ध बंदी छोड़ दिए गए लेकिन इंडिया के लगभग ५० सैनिक वापस नहीं लिये गए| एलिजाबेथ के लिए इतना कुछ करने के बाद इंदिरा और राजीव दोनों मारे गए| कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को वापस जाने दिया गया| अटल विरोध करते तो वे भी मारे जाते| एडमिरल विष्णु भागवत के बाद अब वीके सिंह का नम्बर लगा है| हालात इतने भयानक हैं कि भयंकर बेरोज़गारी के बाद भी कोई नेवी में जाना नहीं चाहता है. मेरे मोबाईल पर प्रतिदिन नेवी में नौकरी करने के लिए विज्ञापन आ रहे हैं.

 

मैं आप लोगों से बारम्बार आग्रह कर रहा हूँ कि लोगों को उपनिवेश का विरोध करने के लिए जागृत कीजिए.

भारतीय स्वतंत्रता (उपनिवेश) अधिनियम, १९४७, का जिसने भी विरोध किया – वह अम्बेडकर सहित जीवित नहीं बचा.

 

चुनाव धोखा है| चुनाव द्वारा मतदाता (Voter) भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) व ३९(ग), कुरान और बाइबल के हठधर्म नहीं बदल सकते. आर्यावर्त सरकार जानना चाहती है कि ब्रिटेन के पास इंडिया को २ भागों इंडिया व पाकिस्तान में बाँटने का अधिकार कैसे था? आतताई अब्रह्मी संस्कृतियाँ ईसाइयत और इस्लाम को इंडिया में रहने का अधिकार कैसे है?

 

बलात्कार पर लम्बे चौड़े लेख लिखने का क्या लाभ?

http://www.aryavrt.com/kautumbik-vyabhichar

 

अतः पहले उपनिवेश की दासता से मुक्ति लीजिए.

 

भवदीय:-

अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सूचना सचिव)

आर्यावर्त सरकार,

७७ खेड़ा खुर्द, दिल्लीः ११० ०८२.

चल दूरभाष: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१

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Author: Vyasji

I am a senior retired engineer in USA with a couple of masters degrees. Born and raised in the Vedic family tradition in Bhaarat. Thanks to the Vedic gurus and Sri Krishna, I am a humble Vedic preacher, and when necessary I serve as a Purohit for Vedic dharma ceremonies.

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