From Yogesh Saxena:
ओ हिंदुस्तानके मुसलमानो,
कोई कह दे कब काशी ने काबा की दीवारें तोड़ी,
हमने कब मक्का में जाकर मस्जिद या मीनारें तोड़ी !!
तुम खूब पढो कुराने किन्तु हमको भी वेद पढ़ाने दो,
चन्दा से बैर नहीं लेकिन सूरज को अर्ध्य चढाने दो !!
पर अपनी धर्मसुरक्षा में सूरज की आग नहा लेंगें,
… गंगा को पड़ी जरूरत यदि शोणित की नदी बहा देंगे !!
हम सागर हैं पर मत भूलो बलबावन बनकर तपते हैं,
बर्फीली परतों में भी लपटों वाले वंश पनपते हैं !!
तो साफ़ बता दूं अब हिंसक हर लहर मोड़ दी जाएगी,
क्रान्तिग्रंथ में एक कहानी और जोड़ दी जाएगी !!
जो उपवन पर घात करे वो शाख तोड़ दी जाएगी,
जन्मभूमि पर उठी हुई हर आँख फोड़ दी जाएगी !!