From: Shirish Dave < >
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“अबे तुम हो बच्चु, हम है चक्कू”
अबे ओ बीजेपी वालों तुम लोग अभी बच्चे हो बच्चे… कुछ समज़ते नहीं.
हम तो है जैसे था बाबु चक्कू…
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“क्या बात है? कुछ समज़में नहीं आता है हमें तो …. कुछ ढंगसे तो बताओ … “ भारतीय जनता बोली.
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“तो सूनो… “बाबु चक्कु” पचास – साठके दशकमें, राजकोटका गुन्डा था. हाँ जी… वही राजकोट जो सौराष्ट्र राज्यका केपीटल था.
जब शहर बना, तो शहरमें गुन्डा तो होना ही चाहिये. एक, अकेले, गुन्डेसे भी क्या होगा? उसके पास, अपनी टीम भी होना चाहिये. क्यों कि गुन्डा होना ही तो शहरकी पहेचान और शान है.
यदि कोई शहरमें गुन्डा आदमी नहीं होता है तो पूलिसवाले गली गलीमें गुन्डेको पैदा कर देते थे. अरे भाई, हप्ता वसुली करना है तो … ऐसा तो कुछ करना तो पडेगा ही न !!.
इन गुन्डोंका काम था फिलमकी टीकटोंका काला बज़ारी करना, किसीकी जेब काटना और आवश्यकता पडने पर चक्कू चलाना. चक्कू से मतलब है चाकु, छूरी.
जेब कतर्रे भी कलाकार होते है, वैसे ही चक्कू चलाने वाले भी कलाकार होते है.
“कलाकार से क्या मतलब है?
“मान लो कि कोई एक व्यक्ति कलाकार है,
“कलाकार व्यक्ति जब, अपने कामका प्रारंभ करता है तो उस कामको पूरा होनेमें कुछ समय तो लगता ही है. तब तक आपको पता चलता नहीं है कि वह व्यक्ति क्या बना रहा है. फिर धीरे धीरे आपको पता चलता जाता है कि उसने नाव का चित्र बनाया है या चूहेका चित्र.
“अरे भैया, मैं वह विश्वकर्माजीने बनाये कलाकारके बारेमें नहीं पूछता हूँ. मैं तो चक्कू चलानेवाले कलाकारके बारेमें पूछ रहा हूँ?
“मैं उसी कलाकारके विषय पर आता हूँ. ये विश्वकर्माके कलाकारकी कृतिका तो आप, पूर्वानुमान (अहेसास) लगा सकते है. लेकिन जेबकतरे कलाकार ने तो कब अपनी कला दिखाई, वह आपको पता ही नहीं चलता है. जब आप अपनी जेबमें हाथ डालते है तब ही आपको पता चलता है कि “पैसेका पर्स” आपकी जेबमें नहीं है. … चक्कू चलानेवाला ऐसे चक्कू मारके अदृष्य हो जाता है कि जब आपका पेन्ट लहूसे तर बर हो जाता है और आहिस्ता आहिस्ता दर्द बढने लगता है तब आपको पता चल जाता है कि कोई आपको चक्कू मारके चला गया. इस क्रिया को “स्टेबींग” कहा जाता है.
आपको पता होगा कि २००२ के दंगेका आरंभ कैसे हुआ था.
“ल्यानत है हम पर” कोंगीयोंने सोचा
बात ऐसी थी कि नरेन्द्र मोदी नये नये मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने बात बातमें कह दिया कि “बीजेपीके शासन कालसे गुजरातमें दंगा होना बंद हो गया है. … “
यह बात जब कोंगीयोंके कर्णोंमें (कानमें) पडी तो उनके कर्णयुग्म श्वानके कर्णयुग्मकी तरह ऊचे हो गये. वे अपना दिमाग लगाने लगे. यह क्या बात हुई!! हमारे होते हुए भी कभी क्या ऐसा हो सकता है, कि दंगे न हो? ल्यानत है हम पर.
गोधराके स्थानिक कोंगीनेताने बीडा उठाया. और साबरमती एक्सप्रेसके दो डीब्बोंको हिन्दु मुसाफिरों सहित जला दिया.
“वजह क्या थी?
“वजह यह थी कि वे अयोध्यासे आ रहे थे जहां दश वर्ष पहेले एक मस्जिदको तोड दिया था.
“लेकिन उसका बदला तो मुस्लिमोंने मुंबईमें अनेक बंब ब्लास्ट करके हजारोंको मारके ले लिया था … अब काहेका बदला …!! “ जनताने पूछा.
“अरे भाई हम मुसलमान है… हमारा हर मुसलमान, हर जगह बदला लेगा. हमें क्या सोच रक्खा है तुम लोगोंने? हम पर, इन दशानन कोंगीयोंके बीस हाथोंका आशिर्वाद है…. अयोध्या तो एक बहाना था… मोदी ऐसा बोल ही कैसे सकता है कि बीजेपीके शासन में दंगा नहीं हो सकता. … चापलुस कहींका …हमने दिखादिया … !!!” कट्टरवादी कोंगी मुस्लिम बोला.
“अरे भाई कोंगी!! तुम्हे क्या कहेना है?” बीजेपीने पूछा.
“अबे, बीजेपी बच्चु, हम तो मुस्लिमोंकी पार्टी है. हम उनके खाविंद है और वे हमारे आका है. हमारा और उनका गज़बका है रिश्ता !! तुम क्या जानो हमारे रिश्तोंको !!
“हम सब एक है. हम दो ही नहीं है. हम अनेक है. हमारे पास गोदी–मीडीया है, हमारे पास गोदी–अर्थशास्त्री लोग है, हमारे पास गोदी–लेखकगण है, हमारे पास गोदी आतंकवादी है, हमारे पास गोदी अर्बन नक्सल है, हमारे पास गोदी पक्षधर भी है. तुमने देखलिया न … हमने उद्धव को उसके पक्षके साथ कैसे हमारी गोदमें बैठा लिया !!
“तुम भी तो किसीकी गोदमें बैठे हो … उसका क्या …?” बीजेपी बोला.
“तो क्या हुआ? हम तो किसीकी भी गोदमें बैठ जाते है … दुश्मनको दोस्त बनाना हमे आता है … चाहे वह देशका दुश्मन ही क्यूँ न हो … !!! समज़े न समज़े !! … तुम बीजेपी वाले तो बच्चू ही रहोगे. कभी चक्कू नहीं बन पाओगे…” कोंगीने बोला.
“इस लिये तो तुम संसदमें ४०० बैठक्मेंसे ४०में सीमट गये … देश भी तुम्हारे करतूत जान गया है…” बीजेपीने कोंगीको बताया.
“अबे बीजेपी … !!! तुम तो बच्चू का बच्चू ही रहोगे. तुम किताबी बातें करते रहो और बच्चू ही बने रहो…” कोंगी बोला.
फिर कोंगी ने अपना पर्दा फास किया ; “अबे बीजेपी, तुम तो ढक्कन हो ढक्कन … तुम हमें क्या समज़ते हो? अबे ओ ढक्कन, यदि हम संसदमें शून्य भी हो गये तो क्या हार मान जायेंगे? अबे बीजेपी बुद्धु, हम संसदके बाहर तो हजारगुना ताकतवर है….
“तुम्हारे मोदीने विमुद्रीकरण कर दिया … लेकिन तुमने देखलियाने हमने, उसको समज़नेमें, जनताको कैसा गुमराह कर दिया …
“हमने तुम्हारे सी.ए.ए. और सी. आर. सी ही नहीं तुम्हारे सी.आर. पी को भी आंतर् राष्ट्रीय मुद्दा बनाके तुम्हे बदनाम कर दिया …
“किसी भी मीडीया कर्मीकी औकात नहीं थी कि वह “नहेरु–लियाकत अली समज़ौता” को याद करके हमे विरोधाभाषी कहें!!
“हमने मुस्लिमोंको बहेकाके, तुम्हारे शिर पर मत्स्य प्रक्षालन कर ही लिया न !!! ऐसा तो हम करते ही रहेंगे !
“अबे बच्चू … हमने मुस्लिमोंको तो, भ्रमित ही नहीं अंधा भी कर दिया है. वे तुमसे हजारो मील दूर हो गये है.
“हमारी गोदी–मीडीयाकी ताकतको समज़ने की तुम्हारी औकात नहीं है. हमारी गोदमें तो हार्वडमें से पैदा हुए निष्णात बैठे है. वे हमारे पोपट है पोपट … और यहांके अधिकतम मीडीया–मूर्धन्य तो पहेलेसे ही हमारी गोदीमें है !
“तुम जरा याद रक्खो … यदि हम संसदमें हो शून्य जाय, तो भी हमारी ताकत तो बनी ही रहेगी. तुम हमें क्या समज़ते हो?
“संसद तो हमारे लिये एक बहाना है. हमें संसदकी परवाह ही नहीं … हमें संविधानके प्रावधानोंकी परवाह नहीं. हमें मानव अधिकारोंकी परवाह ही नहीं.
“हमने तो न्यायालयके समक्ष शपथपूर्वक बोला था कि आपात्कालमें हमारी सरकार किसीको भी गोलीसे उडा देनेका अधिकार रखती है. अबे बच्चू, तुमने कभी इस शपथ पूर्वक कहे कथन पर हमारी बुराई की?
“तुम क्या हमारी बुराई करोगे!! तुम तो “ब्युरीडान” के गधे हो. [ब्युरीडान के पास एक गधा था. उसके पास जई के दो समान ढेर रक्खे गये तो वह “किसको पहेले खाउं यह सोचते सोचते भूखा मर गया”]. तुम तो, हमारे कोंगीयोंके “राक्षसी कर्मोंमेंसे किसकी सबसे पहेले निंदा की जाय” इस पर सोचते सोचते, बुढे हो जाओगे.
सहगान
“अबे बीजेपी बच्चू !! तुमने कभी सहगान किया है? अबे, तुम्हे तो यह भी मालुम नहीं होगा कि सहगान क्या होता है !
“जब तुम २००४ का और २००९ का चूनाव हार गये तो … हमने और हमारे सांस्कृतिक साथीयोंने क्या कहा था?
“हमारा हर वक्ता केवल और केवल यही बोलता था कि ‘जनताने बता दिया कि जनता कोमवादी तत्त्वोंके साथ नहीं है … जनताने कोमवादी तत्त्वोंको पराजित कर दिया … जनताने दिखा दिया कि वह कोमवादी तत्त्वोंके साथ नहीं है … जनताने धर्मनिरपेक्षता पर अपनी मोहर लगाई … जनताने गोडसेकी भाषा बोलनेवालोंको नकार दिया … जनताने नाज़ीवादीयों को उखाडके फैंक दिया …
“हमारा सहगान ऐसा होता है …तुम लोगोंको तो “नमस्ते नमस्ते सद वत्सले मातृभूमि … के अलावा भी सहगान होते हैं वह भी मालुम नहीं.
जूठ बोलना हमारी पहेचान
“अरे बच्चू बीजेपी, हम तो जूठ बोलनेके आदि है. तुम, हमारे जूठको, मिलजुलकर सहगान से उजागर करो, ऐसे काम करनेकी क्षमता तुम लोगोंमें कहां है?
“मुस्लीम लीग नामकी एक पार्टी है. इस पार्टीमें अन्यधर्मी को सदस्यता नहीं मिल सकती. ऐसी कोमवादी पार्टी के साथ गठबंधन करे हम, फिर भी हम कहे, कोमवादी तुमको … बोलो, है न मजेकी बात?
“हमारा ही एक स्थानिक मुस्लिम नेता, रेल्वेकोचको हिन्दुओंके साथ जलाकर राख कर दे, और खूनका दलाली करनेवाले सिद्ध हो तुम… हमारे ही मुस्लिम गुन्डे स्टेबींग का सीलसीला करके सेंकडो निर्दोष राहादारीयोंकी कत्ल करे, लेकिन मौतके सौदागरका लेबल लगे तुम पर. है न हमारी कमाल?
“तुम लोगोंने हमे २०१४ और २०१९के चूनावमें पराजित किया. और अब तुम सोच रहे हो कि हम कोंगी नेता लोग निर्माल्य हो जायेंगे क्यों कि हमारी सरकारी पैसा खाने की दुकानें बंद हो गई.
“तुम्हारी यही सोच तो गलत है.
“हमारा भू माफियाका धंधा चालु है,
“हमारा हप्ता वसुलीका धंधा चालु है,
“हमारा अवैध कन्स्ट्रक्सनका धंधा चालु है,
“हमारी बोलिवुडकी दुकानोंका धंधा चालु है,
“हमारा ड्रग माफियाका धंधा चालु है,
“हमारा अवैध शराब बनानेका और बेचनेका धंधा चालु है,
“हमारा सूपारी लेनेका धंधा चालु है,
…